एक फोटो में बच्चों को ख़ुशी से सराबोर देख Exams एवं Results के बारे में लिखने का मन कर गया।
अभी-अभी परीक्षाओं के परिणाम आने शुरू हुए हैं और अब बहुत सी प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम आयेंगे। मैंने हाल ही में अपने एक सीनियर को उनके बेटे की सफलता पर बधाई दी तो वे खुश थे लेकिन वे चिंतित भी थे कि अब कुछ दिन में बेटे की नीट (मेडिकल) की परीक्षा है।
वैसे देखें तो हम कल के लिये हम आज की बलि चढ़ाते जा रहे हैं। अब हर ओर अमूमन यही दृश्य देखने मिलता है। मेरा मतलब यह क़तई नहीं की बेहतर भविष्य के लिए कुछ ना किया जाए।
इन चिंताओं का मुख्य कारण भविष्य के प्रति असुरक्षा का भाव है जहां हर व्यक्ति एक होड़ में लगा हुआ है कि उसकी या उसके बच्चों की सफलता कितनी बड़ी होगी। बस यही वो भूल गया है कि सफलता कितनी भी बड़ी हो व्यक्ति के जीवन से बड़ी नहीं हो सकती और जीवन को सही अर्थों में जीने से बढ़कर भी नहीं हो सकती। लेकिन साथियों का दबाव इत्यादि हमें मजबूर कर देते हैं और हम कब रैट रेस में शामिल हो जाते हैं हमें पता ही नहीं चलता।
ख़ैर ये सब चलता रहेगा और साथ ही हमारी स्ट्रगल भी।
लेकिन जो असफ़ल होते हैं या अपने आप को औसत मानकर प्रयास करने से डरते हैं उनके लिए मुझे कुछ कहना है - आपने सोशल मीडिया पर बहुत से उदाहरणों के माध्यम से देख लिया होगा कि ऐसे बहुत से लोग हैं जो औसत होते हुए भी बहुत कामयाब हुए।
क्या राज़ है इन सब की सफलता का? कैसे औसत भी असमान फाड़ने वाली सफलता अर्जित कर सकता है?
मुझे मेरी #पुस्तक (#IMPossible) में लिखा एक फार्मूला याद आ गया जो आज भी प्रासंगिक हैं और आगे भी रहेंगे।
Success = Attitude (Effort) * Aptitude (IQ)
सफलता = अभिवृत्ति * मानसिक योग्यता
यदि आपका aptitude (योग्यता) औसत है तो सफलता के लिए सही attitude होना चाहिए। attitude से मेरा तात्पर्य है प्रयास करने का जज़्बा। मेहनत करने का जज़्बा रखना वो attitude है जो आपको वही सफलता दे देगा जो किसी बहुत अधिक IQ वाले व्यक्ति को। इसी को मैंने किताब में theory of potential (थ्योरी ऑफ़ पोटेंशियल) के नाम से समझाया है कि आपमें यदि आज किसी कार्य की क्षमता नहीं है तो आप मेहनत कर उसे विकसित कर सकते हैं।
इसीलिए एक असफलता या कम नंबर से निराश कभी मत होइए, अपनी क्षमता विकसित करिए (मानसिक और व्यावहारिक) और देखिए कि आप अपने जीवन में सुखी रहने के साधन जुटा लेंगे।